हमारे देस की सक्रिय राजनीती में अभी भी एक परिवार खूब ही सक्रिय रूप से जुडा हुआ है जिसे गाँधी नेहरू परिवार के नाम से जाना जाता है , अब आप समझ गए होंगे की मेरा इशारा किस ओर है, जवाहर लाल नेहरू हारे देस के प्रथम प्रधानमंत्री है , इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था जो बारिस्टर थे
जवाहर लाल नेहरू की एक ही संतान थी जो की पुत्री थी लेकिन हमें इतिहास में कही भी ऐसा नही पता चलता है की जवाहर लाल नेहरू को कभी भी इस बात से कोई समस्या रही हो की कोई बेटा क्यो नही हुआ क्या वो चाहते तो कोई बेटा गोद नही ले सकते थे या फिर कोई दूसरी शादी नही कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया भगवन ने उन्हें जो दिया इस मामले में यही कहूँगा की उन्होंने उसे ही स्वीकार कर लिया, वैसे तो अब आप समझ ही गए होंगे की मै किसकी बात कर रहा हूँ लेकिन फिर भी नाम बता ही दूँ, तो जवाहर लाल नेहरू को एक ही पुत्री रत्न की प्राप्ति हुई थी जिनका नाम इंदिरा गाँधी था, अब मै यह विचार करता हूँ की यदि जवाहर जी को पुत्री की जगह कोई पुत्र प्राप्त हुआ होता तो क्या वह इंदिरा गांघी के जितना नाम कर पाता या फिर इतनी निदारत से फैसले ले पाता…..
इसीलिए मेरा ऐसा मानना है की यदि आप अपने बच्चो को सही से पढाते लिखाते है उन्हें देस दुनिया का सही से परिचय कराते हैं उनकी समस्याओ को समझ करके उसका समाधान करते है तो और बेटी को संकुचित द्रिस्टीसे नही देखते है तो आप को अपनी जिन्दगी में कभी भी ऐसा नही लगेगा की हमारा कोई बेटा नही है बल्कि बेटा और बेटी में आप को अन्तर दिखेगा ही नही साथ ही आपका नाम भी रोशन होगा और इस देस का भी|
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