Saturday, 16 January 2016

Tuesday, 12 January 2016


Stop Taking And Giving Dowry

  Stop Taking And Giving Dowry



Dowry means those gifts and presents which are given by a father or guardian to his daughter at the time of her marriage. In ancient times, it was considered as a sort of help to establish their own home for the newly weds.

Mostly the dowry in those days was in kind, say a variety of things useful for new homes and not in cash, as the system now prevails today. These gifts were given voluntarily and without any demands made under pressure.
About a hundred years ago, there was a custom that the prospective husband used to offer gifts and presents to his would-be bride’s father.
But this custom proved a major handicap for many persons who could not marry early in life for want of funds to buy such gifts. Again, there were many unfortunates who could not marry at all for this reason.
But custom are never stationary. They dowry undergo changes. Now, at present this custom has been reversed. Instead of the prospective husband, it is the bride’s parents who have to offer gifts and presents to the bridegroom and his parents.


As such, it has become extremely difficult to arrange a girl’s marriage without dowry. Now, the system has become a social evil.
Dowry system has become one of the greatest social evils these days and hundreds of innocent lives have been lost. Even the educated parents expect their daughter-in- law to bring money and gifts from her family. They use dowry system as a short-cut to amass wealth. Torturing someone else’s daughter, they never think of their own daughter.
We have legislations in our country to stop taking and giving dowry. Yet this system is very much in existence. Unless we are ready to bring in a change in our hearts, no legislation can be effective. Better burn your greed and spare your brides.



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Friday, 8 January 2016

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ



बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

हमारा देस और समाज काफी प्रगति कर गया है और आगे कर भी रहा है लेकिन अभी भी स्त्रियो को जितना सम्मान मिलना चाहिए उतना नही मिलता है क्योकि उन्हें इतना महत्वपूर्ण नही समझा जाता है और इसी लिए गर्भ में ही उनकी हत्या कर दी जाती है लिंग परिक्षण करवाके लेकिन ऐसा नही करना चाहिए, यदि आप ऐसा सोचते है की बेटा होगा तो वह अधिक काम का होगा तो बहुत ही ग़लत सोचते है, बेटा हो या बेटी भगवान की इच्छा समझ के उसे ही स्वीकार कर लेना चाहिए, क्योकि पहेले से ही किसी बात का अंदाजा लगा लेना बहुत उचित नही कहा जा सकता है, इसी से सम्बंधित मै एक प्रेरक प्रसंग प्रस्तुत कर रहा हूँ जिससे आप को ऐसा लगे की कोई किसी से कम नही बस आपने परवरिस कैसे की है, देखभाल कैसे की है, सबकुछ इस पर आधार रखता है .हमारे देस की सक्रिय राजनीती में अभी भी एक परिवार खूब ही सक्रिय रूप से जुडा हुआ है जिसे गाँधी  नेहरू परिवार के नाम से जाना जाता है , अब आप समझ गए होंगे की मेरा इशारा किस ओर है, जवाहर लाल नेहरू हारे देस के प्रथम प्रधानमंत्री है , इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था जो बारिस्टर थे
जवाहर लाल नेहरू की एक ही संतान थी जो की पुत्री थी लेकिन हमें इतिहास में कही भी ऐसा नही पता चलता है की जवाहर लाल नेहरू को कभी भी इस बात से कोई समस्या रही हो की कोई बेटा क्यो नही हुआ क्या वो चाहते तो कोई बेटा गोद नही ले सकते थे या फिर कोई दूसरी शादी नही कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया भगवन ने उन्हें जो दिया इस मामले में यही कहूँगा की उन्होंने उसे ही स्वीकार कर लिया, वैसे तो अब आप समझ ही गए होंगे की मै किसकी बात कर रहा हूँ लेकिन फिर भी नाम बता ही दूँ, तो जवाहर लाल नेहरू को एक ही पुत्री रत्न की प्राप्ति हुई थी जिनका नाम इंदिरा गाँधी था, अब मै यह विचार करता हूँ की यदि जवाहर जी को पुत्री की जगह कोई पुत्र प्राप्त हुआ होता तो क्या वह इंदिरा गांघी के जितना नाम कर पाता या फिर इतनी निदारत से फैसले ले पाता…..
इसीलिए मेरा ऐसा मानना है की यदि आप अपने बच्चो को सही से पढाते लिखाते है उन्हें देस दुनिया का सही से परिचय कराते हैं उनकी समस्याओ को समझ करके उसका समाधान करते है तो और बेटी को संकुचित द्रिस्टीसे नही देखते है तो आप को अपनी जिन्दगी में कभी भी ऐसा नही लगेगा की हमारा कोई बेटा नही है बल्कि बेटा और बेटी में आप को अन्तर दिखेगा ही नही साथ ही आपका नाम भी रोशन होगा और इस देस का भी|

Tuesday, 5 January 2016

BE A MAN SAY NO TO DOWRY!

BE A MAN SAY NO TO DOWRY!
ना ले,ना लेने दे 



दहेज भारतीय समाज के लिये अभिशाप है 1 दहेज ने हमारी सांस्क्रितिक सांस्कृतिक एवम सामाजिक व्यवस्था को खराब कर दिया है 1 दहेज की कुप्रथा के कारण नारी सामाजिक तिरस्कार, तलाक और आत्महत्या की ओर बढ रही है 1 शिक्षा के प्रसार का भी दहेज की मनोवृति पर कोई अछा प्रभाव नही पड़ा है ! क्योंकि जो युवक जितना अधिक शिक्षित होत है उस की दहेज की मांग भी उतनी ही अधिक होती है ! एक तरह से वर की बोली लगाई जाती है ! इस प्रथा से तंग आ कर नारी अपने जीवन को ही अभिशाप मानने लगी है !
दहेज प्रथा का प्रचलन नव-विवाहित जोड़े को नई गृहस्थी शुरु करने मे थोड़ी सी मदद के रूप मे शुरु हुआ था ! लेकिन बाद मे दहेज की सात्विक भावना तामसिक हो गई ! जैंसे कि दहेज के अभाव में कन्या से विवाह करने से मना करना, दहेज की कमियों को गिन गिन कर बताना, सास और ननद का नई बहू को ताने मारना इत्यादि ! कभी कभी तो दहेज प्रथा इतना क्रूढ रूप धारण कर लेती है कि ससुराल वाले बहू को, या तो आत्म-हत्या करने पर मज्बूर कर देते है, या उसे विष देकर, या जलाकर, या गला घोंट कर मार देते हैं ! इस तरह दहेज प्रथा भारतीय समाज पर बहुत बड़ा कलंक है !
दहेज के इस दीमक को जन-जागरण द्वारा ही नष्ट किया जा सकता है ! इस के निवारण के लिये सरकार ने बहुत सख्त कानून बनाये हैं, ताकि लालची लोगों को कानून का भय हो ! आज की युवा पीढी भी अपनी संकल्प शक्ति से दहेज प्रथा को समाप्त कर सकती है ! क्योंकि नारी नवपीढी की जननी है, अतएव उसका आदर, सम्मान आवश्यक है !

Our Motto

 
बेटी बचाओ

हमारा देस और समाज काफी प्रगति कर गया है और आगे कर भी रहा है लेकिन अभी भी स्त्रियो को जितना सम्मान मिलना चाहिए उतना नही मिलता है क्योकि उन्हें इतना महत्वपूर्ण नही समझा जाता है और इसी लिए गर्भ में ही उनकी हत्या कर दी जाती है लिंग परिक्षण करवाके लेकिन ऐसा नही करना चाहिए, यदि आप ऐसा सोचते है की बेटा होगा तो वह अधिक काम का होगा तो बहुत ही ग़लत सोचते है, बेटा हो या बेटी भगवान की इच्छा समझ के उसे ही स्वीकार कर लेना चाहिए, क्योकि पहेले से ही किसी बात का अंदाजा लगा लेना बहुत उचित नही कहा जा सकता है, इसी से सम्बंधित मै एक प्रेरक प्रसंग प्रस्तुत कर रहा हूँ जिससे आप को ऐसा लगे की कोई किसी से कम नही बस आपने परवरिस कैसे की है, देखभाल कैसे की है, सबकुछ इस पर आधार रखता है .
हमारे देस की सक्रिय राजनीती में अभी भी एक परिवार खूब ही सक्रिय रूप से जुडा हुआ है जिसे गाँधी  नेहरू परिवार के नाम से जाना जाता है , अब आप समझ गए होंगे की मेरा इशारा किस ओर है, जवाहर लाल नेहरू हारे देस के प्रथम प्रधानमंत्री है , इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था जो बारिस्टर थे
जवाहर लाल नेहरू की एक ही संतान थी जो की पुत्री थी लेकिन हमें इतिहास में कही भी ऐसा नही पता चलता है की जवाहर लाल नेहरू को कभी भी इस बात से कोई समस्या रही हो की कोई बेटा क्यो नही हुआ क्या वो चाहते तो कोई बेटा गोद नही ले सकते थे या फिर कोई दूसरी शादी नही कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया भगवन ने उन्हें जो दिया इस मामले में यही कहूँगा की उन्होंने उसे ही स्वीकार कर लिया, वैसे तो अब आप समझ ही गए होंगे की मै किसकी बात कर रहा हूँ लेकिन फिर भी नाम बता ही दूँ, तो जवाहर लाल नेहरू को एक ही पुत्री रत्न की प्राप्ति हुई थी जिनका नाम इंदिरा गाँधी था, अब मै यह विचार करता हूँ की यदि जवाहर जी को पुत्री की जगह कोई पुत्र प्राप्त हुआ होता तो क्या वह इंदिरा गांघी के जितना नाम कर पाता या फिर इतनी निदारत से फैसले ले पाता…..
इसीलिए मेरा ऐसा मानना है की यदि आप अपने बच्चो को सही से पढाते लिखाते है उन्हें देस दुनिया का सही से परिचय कराते हैं उनकी समस्याओ को समझ करके उसका समाधान करते है तो और बेटी को संकुचित द्रिस्टीसे नही देखते है तो आप को अपनी जिन्दगी में कभी भी ऐसा नही लगेगा की हमारा कोई बेटा नही है बल्कि बेटा और बेटी में आप को अन्तर दिखेगा ही नही साथ ही आपका नाम भी रोशन होगा और इस देस का भी|

Our Mission

दहेज.प्रथा का उदभव कब और कहां हुआ यह कह पाना असंभव है। विश्व के विभिन्न सभ्यताओं में दहेज लेने और देने के पुख्ता प्रमाण मिलते हैं। इससे यह तो स्पष्ट होता है कि दहेज का इतिहास अत्यन्त प्राचीन है। अब हम यह जान लें कि दहेज कि वास्तविक परिभाषा क्या है दहेज के अंतर्गत वे सारे सामग्रियां अथवा रकम आते हैं जो वर पक्ष को वधू पक्ष के माध्यम से विवाह के प्रक्रिया के दौरान अथवा विवाह के पश्चात प्राप्त होते हैं। इन वस्तुओं की मांग या तो वर पक्ष द्वारा वधू पक्ष से की जाती है अथवा वे स्वेच्छा से इसे प्रदान करते हैं।

हालांकि दहेज का पूरे विश्व में किसी न किसी रूप में बोलबाला है। अपितु भारत में यह तो एक भयंकर बीमारी के रूप में मौजूद है। देश का शायद ही ऐसा कोर्इ भाग बचा हो जहां के लोग इस बीमारी से ग्रसित न हों। आए दिन दहेज लेने.देने के सैकड़ों मामले दिखार्इ देते हैं। जिन व्यकितयों की बेटियां होती हैंए वे अल्प काल से ही दहेज के लिए रकम संग्रह में लीन हो जाते हैं। इस वजह से समाज का एक बड़ा तबका बेटियों को मनहूस समझता है और प्रतिवर्श देश में ही लाखों बेटियों को लिंग परीक्षण कर समय से पूर्व ही नष्ट कर दिया जाता है। विवाह के पश्चात लड़कियों को दहेज के लिए प्रताडि़त करने के सैकड़ों मामले हमारे समाज का हिस्सा बनती जा रही है। हालांकि सरकार द्वारा दहेज विरोधी अनेक सख्त कानून और सजा का प्रावधान हैए अपितु दहेज के मामले घटने के बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं। देश भर में दहेज के लोभी राक्षसों द्वारा जलाया जा रहा हैए मारा जा रहा है और प्रताडि़त किया जा रहा है। दहेज लोभी लोग मानवीयता भूलकर अमानवीय कृत्यों से परहेज नहीं करते।



 आज हमारी सरकारों द्वारा लड़कियों के उत्थान व विकास के लिए अनेक योजनाएं चला रही हैंए जिनमें शिक्षाए रोजगार सहित विवाहोपरांत मदद भी शामिल है। यह सब इसलिए ताकि बेटियों के परिवारों को बेटियां बोझ न लगें और लड़कियां आत्मनिर्भर हो सकें। दहेज लेना और देना तो कानूनन अपराध है ही लेकिन साथ ही इससे संबंधित किसी प्रकार की शिकायत पर तुरंत कार्रवार्इ की जाती है। अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं सांस्कृतिक कार्यक्रमोंए चलचित्रों आदि के माध्यम से समाज में दहेज के प्रति जागरूकता का आहवान किया जा रहा है। इन सब के बावजूद हमारे देश से दहेज को मिटाना तभी संभव होगा जब आज कि युवा पीढ़ी यह प्रण करें कि वे दहेज से परहेज करेंगे। युवाओं का यह प्रयास भविष्य में दहेज को नेस्ताबूत कर सकता है। इससे समाज एक बार फिर खुशहाल हो सकेगा और भारत अपना गौरव हासिल कर सकेगा।

Sunday, 3 January 2016

Contact Us

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About Us

Minerva Educational & Social Welfare Trust is Established For Education, Agriculture, Relief to Poor, Medical Relief or Advancement of any other, Not Involving the Carrying on of any other activity for Profit.

To spread and promote learning or training of all non professional, professional and technical education like computer, management studies, media and journalism, book publishing, newspaper publishing, teacher training, vocational courses.

To work for the community development & welfare for the economically & socially backwards without any discretion and welfare work for shared & their dependents.

To provide opportunity for education to economically poor and deserving persons.

To start educational library, play room to arrange competitions in every field of education for growth of society by giving them prizes/ certificates etc.

To arrange & management the vocational training institutions in typing, computer education fine art & craft music, dance, painting, yoga & physical education, Faisoncian, paramedical & alternative Sciences and other professional training courses/ subjects etc.









Our Courses

Minerva Institute Of Computer & Vocational Training
(Under The Management)
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Our Courses


Diploma in Safety Management

Diploma in Fire Management

Certificate in First Aid

 1. Computer teachers training C.T.T/001 (1years/2years)

2. Diploma in Adv. Computer Software D.A.C /002 (1year)

3. Diploma in Information Technology D.I.T/003 (1year)

4. Diploma in Computer Hardware D.C.H./004 (6months)

5. Diploma in ADV. Desktop Publishing D.A.D.P/005 (6months)

6. Diploma in ADV. Financial accounting D.A.F.A/006 (6months)

7. Diploma in ADV. Hardware Networking D.A.H.N/007 (1year)

8. Certificate in Computer Programming C.C.P./008 (6 months)

9. Post Graduate Dip. In Comp. Application P.G.D.C.A/009 (1year)

10. Dip in Software Development D.S.D/0010 (6months)

11. Certificates in ADV. Computer Software C.A.C.S./0011 (6months)

12. Diploma in Computer Application D.C.A./0012 (1year)

13. Diploma in Web Designing /0013 (1year)

14. Diploma in Web Development /0014 (6months)

15. Diploma in Mass Communication /0015 (1 year)

16. Diploma in Disaster Management /0016 (6months)

17. Diploma in Advance Disaster Management /0017 (1year)

18. Refresher Course in fire management /0018 (3months)

19. Diploma in Fire Management /0019 (6months)

20. Diploma in Advance Fire Management /0020 (1year)

21. Certificate course in fire management/0021 (3months)

22. Diploma in safety management /0022 (6months)

23. Diploma in Advance Safety management /0023 (1year)

24. Diploma in Fashion Designing /0024 (1year)

25. Diploma in Advance Fashion Designing /0025 (1year)

26. Diploma in Dress Designing /0026 (1year)

27. Diploma in Cutting and Tailoring /0027 (6months)

28. Diploma in Adv. Dress Designing /0028 (6months)

29. Diploma in Beautification /0029 (6months)

30.Diploma in Adv. Beautification /0030(1year)

31. Diploma in Home Science /0031 (1year)

32. Diploma in Interior Decoration /0032 (6months)

33. Drawing Painting /0033 (6months)

34. Spoken English /0034 (6months)

35. Nursery Teachers Training /0036 (1year)

36. Diploma in Naturopathy & Yoga /0036 (1 year)

37. Diploma in Acupressure /0037 (6months)

38. Certificate in First-Aid (Human) 0038 (1month)


39. Certificate in Naturopathy & Yoga /0039 (3 month)

40. R.M.P (Rural Medical Practicenor) /0040 (1month)








Diploma in 3D Animation & Visual Effect
DURATION: ONE YEAR. ADDITIONAL 2 MONTHS INTERNSHIP IS COMPULSORY

ADMISSION: ON THE BASIS OF TEST & INTERVIEW

AGE LIMIT: 30 YEARS

OBJECTIVE: THE AIM OF THIS PROGRAM IS TO SPECIALIZE IN 3D COMPUTER GRAPHICS OR ADVANCED COMPOSITING, SO THAT THE STUDENTS CAN DO A SPECIFIC TASK IN VISUAL EFFECTS FOR THE FILM AND TELEVISION INDUSTRY.

SEMESTER – I

PAPER 1- MODELING AND TEXTURING (3DSMAX, MAYA AND Z-BRUSH)
PAPER 2- CHARACTER ANIMATION (3DSMAX AND MAYA)
PAPER -3 PROJECT WORK (OPTION FROM 101 TO 103 PAPER)
PAPER – LIFE MANAGEMENT

SEMESTER – II

PAPER -1 PARTICLES AND DYNAMICS IN 3D (3DSMAX, MAYA AND REAL-FLOW)
PAPER -2 SHADING, LIGHTING AND RENDERING IN 3D (MENTAL RAY AND V-RAY)
PAPER -3 PROJECT WORK (OPTION FROM 201 TO 203 PAPER)
PAPER -4 LIFE MANAGEMENT
PAPER -5 YOGA AND MEDITATION
COMPUTER TEACHERS TRAINING


Ø  BASIC FUNDAMENTAL & MS-OFFICE.
Ø  PROGRAMMING TECHNIQUES, C & C++.
Ø  WEB DESIGNING & DEVELOPMENT.
Ø  JAVA.
Ø  E-COM & PERSONALITY DEVELOPMENT.
Ø  MODERN METHOD OF TEACHING AS COMPUTER TEACHER.
Ø  DTP (PAGEMAKER, COREL DRAW, PHOTOSHOP).
Ø  BASIC OF SQL (STRUCTURE QUERY LANGUAGE) .
Ø  PROJECT.
Diploma In Retail Management

Ø  MARKETING RESEARCH
Ø  RETAIL STORES AND OPERATIONS MANAGEMENT
Ø  CONSUMER BUYER BEHAVIOR
Ø  RETAIL MARKETING ENVIRONMENT
Ø  RETAIL MERCHANDISING AND BUYING
Ø  RETAIL SELLING SKILLS
Ø  HUMAN RESOURCE MANAGEMENT.
Ø  IT IN RETAIL
Ø  FRANCHISING IN RETAIL
Ø  CUSTOMER CENTRIC ORGANIZATION
Ø  SOFTWARE RELATED TO CURRENT RETAIL INDUSTRIES. ****
Ø  WORKING ENVIRONMENTS IN RETAIL CHAIN.
Ø  VIVA VOCE ON PROJECT REPORT.

Diploma In Financial Accounting
Ø  BASIC FUNDAMENTAL & MS-OFFICE.
Ø  ACCOUNTING FUNDAMENTAL.
Ø  TALLY 9.0 WITH ERP.
Ø  ACCOUNTS MANAGEMENT.
Ø  INVENTORY MANAGEMENT.
Ø  TAXATION MANAGEMENT.
Ø  R.O.C. AND MINUIT BOOK.
Ø  INVESTMENT AND BANKING.
Ø  PAYROLL AND HRD MANAGEMENT.
Ø  PERSONALITY DEVELOPMENT & INTERVIEW SKILLS.
Ø  OFFICE COMMUNICATION SKILLS.